- धर्मपाल महेंद्र जैन
यह इक्कीसवीं सदी की बात है, आज से एक हज़ार साल पहले की। उस जमाने में सड़क किनारे की एक गुमटी पर चाय बनाने वाले एक लड़के को देश सेवा करने का फंडा समझ में आ गया, फिर तो वह चुनाव पर चुनाव जीतता गया। वह अति साधारण वस्त्र पहनता था, इसलिए लंगोटिए उसके जिगरी बन जाते थे, जो एनकाउंटर करने में माहिर होते थे। एक दिन उसकी ऐसी निकली कि वह एक ग़रीब महादेश का बादशाह सलामत बन गया। सलामत इसलिए कि बहुमत उसकी मुट्ठी में था। विरोधी उसके सामने ठुमका लगाते थे। जितनी देर उसके विरोधी एक आँख मींच कर व्यंग्य बाण चलाते, उतनी देर में वह धड़ाधड़ राफेल जैसे कई सौदे निबटा देता। लोग उसे हिटलर कहते तो वह बहुत हँसता और कहता - प्रजातंत्र में कोई हिटलर नहीं होता, बस एक बादशाह होता है और वह मैं हूँ ना। नक्कारखाने में उसकी तूती बज रही थी, सिर्फ उसकी जय-जयकार करने से पुण्योदय हो जाता था। पुण्य में कुर्सियाँ मिल रही थीं। भक्तों के अच्छे दिन आ रहे थे।
एक दिन उसने अपने मन की बात कही कि रिज़र्व बैंक के पास लाखों करोड़ रुपये हैं। ये सब पैसा ग़रीबों में बाँट देना चाहिए। अंग्रेज़ों ने और उनके जाने के बाद उनके चाकरों ने देश को लूट-लूट कर ग़रीब बना दिया है। अब वक़्त आ गया है कि ग़रीबों के खाते में रुपये लबालब भर दिए जाएँ ताकि कोई ग़रीब नहीं रहे। जनता ने बड़ी तालियाँ बजाई, दुआ की कि बादशाह की सल्तनत कायम रहे।
बादशाह ने दरबानों की मीटिंग बुलाई। पार्टी के अध्यक्ष हमेशा उनके दाहिनी ओर बैठते थे, और फुसफुसा कर बादशाह के कान भरने में प्रवीण थे। वे बहुत घाघ थे, एक मोहरा चलते थे, तो दस मोहरों की ढिबरी टाइट हो जाती थी। उन्होंने कहा - बादशाह का इक़बाल बुलंद हो, हमारी सल्तनत हमेशा कायम रहे। हे नेक बादशाह, अपने पैर पर कुल्हाड़ी मत मारो। रिज़र्व बैंक को पार्टी के खाने के लिए छोड़ दो। ग़रीबों को अमीर बनाने का ख़्याल सिर्फ़ भाषणबाजी के लिए अच्छा है। सब ग़रीब अमीर हो गए तो अनर्थ हो जाएगा। मेरी बात गौर से सुनो। जो ग़रीब हैं, वे आपका वादा सुन कर वोट देने आते हैं। जो अमीर हो गए हैं, उन्हें वोट देने में शर्म आती है और जो महाअमीर हो गए हैं वे देश छोड़ रहे हैं, बस गुपचुप चंदा पहुँचा देते हैं। हमें वोट चाहिए इसलिए ग़रीब चाहिए। जितने ज़्यादा ग़रीब उतने ज़्यादा वोट। इसलिए वादे के उलट करो, ज़्यादा ग़रीब बनाओ मेरे परवरदिगार।
बादशाह हतप्रभ हो गए। वे बोले, गुरू मैं धन्य हुआ, अब समझ में आया कि क्यों पहले शाह, बाद में बादशाह। अध्यक्ष जी आगे बोले, हे बादशाह हम आपकी सभाओं में लाखों लोगों को भर-भर कर लाते हैं। ग़रीब लोगों को अत्ता-भत्ता और भाड़ा दे कर हम भीड़ बनाते हैं, भीड़ से आपकी शान बढ़ती है मेरे मौला। ग़रीब होंगे तो भीड़ जुटेगी, भीड़ जिंदाबाद के नारे लगाएगी तो आकाश-पाताल में हल्ला सुनाई देगा। प्रेस के कैमरे और टीवी की स्क्रीन पर लोग ही लोग होंगे और हमारे नाम वोट ही वोट होंगे। ग़रीब होगा तो गला फाड़ कर चिल्लाएगा, जब तक सूरज-चाँद रहेगा, बादशाह का नाम रहेगा। इसलिए हे सिकंदर, राज करना है तो आप और ग़रीब बनाओ, रात-दिन ग़रीब बनाओ, हम उन सबको अपनी भीड़ में शामिल कर लेंगे और अपना झंडा पकड़ा देंगे। बादशाह बहुत खुश हुए, उनका सीना सत्तावन इंच हो गया।
बादशाह ने अपने नवरत्नों से कहा - चाणक्य के बाद भारतभूमि पर अब जा कर कोई नीतिकार पैदा हुआ है। आप ग़रीबी और ग़रीब पर उनके विचार सुनें और गुनें। अध्यक्ष जी अपनी प्रशंसा सुन कर बहुत खुश हुए। गधा ऊँट को कहे कि तुम्हारी ग्रीवा सुदीर्घ है, कटाव अद्भुत है, तुम सुंदरतम हो, तो गधे का भी साहित्यकारों जैसा कर्तव्य हो जाता है कि वह कहे, वाह आप कितने सुंदर सुर लगाते हो, क्या आवाज़ है, सारे वोटरों को लामबंद कर लेते हो। तद्नुसार अध्यक्ष जी ने बादशाह की लपेट-लपेट कर तारीफ़ की। परस्पर गुणगान करने में वे ग़रीब और ग़रीबी के मुद्दे को भूल गए। इस सुअवसर पर नवरत्न भी पीछे नहीं रहे, उन्होंने इन दोनों की भूरि-भूरि प्रशंसा कर सात चुनावों के लिए अपने परिवार के टिकट पक्के करा लिए। फिर किसी ने भारतमाता की जय का नारा लगाया और अध्यक्ष जी मुद्दे पर आये।
वे बोले - मित्रो, यह चर्चा अति गोपनीय है और आपके समझने के लिए है बस, तो ध्यान से सुनिए। हमें देश के हर हिस्से में ग़रीब चाहिए। गाँवों में खेतीहर ग़रीब चाहिए तो महानगरों की झुग्गी-झोपड़ी और चालों में मज़दूर ग़रीब चाहिए। ग़रीब देश को बाँध कर रखता है, चुनाव प्रणाली को ज़िंदा रखता है। इस तरह ग़रीब प्रजातंत्र को पोषित करता है। बादशाह के लिए सबसे मुफ़ीद काम है ग़रीब के लिए योजना बनाना और ग़रीबी पर भाव-विभोर भाषण देना। ग़रीबों को लेकर हमारा सोच एकदम साफ़ होना चाहिए। भगवान राम के जमाने में ग़रीब थे, केवट थे, शबरी थी। भगवान कृष्ण के जमाने में ग्वाले थे, सुदामा थे। हमारे स्वर्णिम युगों में भी ग़रीब रहे हैं। सब राजाओं ने ग़रीबों को पाला-पोसा और महान हो गए। आप समझ रहे हैं न, ग़रीबी को कोई ख़त्म नहीं करता, सबके लिए ग़रीब पालने-पोसने की चीज़ है।
मित्रो, ग़रीबों के लिए हमने इतना विशाल प्रशासन खड़ा किया है। तरह-तरह के दफ़्तर हैं, किस्म-किस्म के अफसर हैं, घड़ियाल हैं, मगरमच्छ हैं, साँप और सपेरे हैं। अमीर तो इन सबको ख़रीद कर अपनी जेब में रख सकते हैं। आपने ग़रीब ख़त्म कर दिए तो हम शासन किस पर करेंगे? हर सत्ताधीश कहता रहा है ग़रीबी हटाओ पर ग़रीबी युगों-युगों से शाश्वत रही है। हमें भी ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाना है ग़रीबी हटाओ पर ग़रीबी हटाना नहीं है। जो नहीं हो सकता वह कर दिखाने का सब्ज़बाग बताना श्रेष्ठ राजनीति है। करने का नाटक करते हुए ही लोग महान राजनीतिज्ञ बने हैं, हमें भी यही करना है। सत्ता का सच से क्या संबंध! जो हम कहते हैं, वह करने लग जाएँ तो उसमें क्या राजनीति, क्या सुशासन! नवरत्नों ने बहुत तालियाँ पीटीं। बादशाह मुस्कुराते रहे। बादशाह धृतराष्ट्र हो कर मुस्कुराता रहे तो भी सौ कौरव इकट्ठे कर लेता है। बादशाह सलामत और अध्यक्ष जी की बहुत जय-जयकार हुई तो बादशाह सलामत बोले - साथियो, आओ हम प्रण करें, हम हर प्लेटफॉर्म पर ग़रीब की बात करेंगे, ग़रीबी हटाने की बात करेंगे।
इक्कीसवीं सदी का वो दिन था और इकत्तीसवीं सदी का आज का दिन है, ग़रीबी वहीं है। राजनेताओं के दिन जैसे तब बदले थे, अब भी बदल रहे हैं।
Poker, Casino, & Hotel Reviews - JetBlue International
ReplyDeletePoker, Casino, & Hotel 삼척 출장샵 reviews, including ratings, hours, 충주 출장안마 offers, contact details, address, phone number, and address. 영주 출장샵 Rating: 3 · 1 vote · Price range: $ (Based on Average Nightly Rates for a Standard Room from our Partners)What are some of the property amenities at 인천광역 출장샵 Harrah's Resort Southern California?Which room amenities are available at 문경 출장안마 Harrah's Resort Southern California?